चमकते उथले जल में
तैर रहीं वक्र गति नन्हीं नवजात मछलियाँ
कुआर मास वर्षा के अंतिम दिन
कुंडी के थिर स्वच्छ जल में
चाँदी की सीपी-सी झलक रहीं
तैर-तैर फिसल रहीं
मगन मन मछलियाँ
शिकारी नहीं कहीं जाल नहीं
निर्भय तरंग-संग विचरण कर रही मछलियाँ
पनुहाँ साँप कहीं से लुक-छिप आया
मच गई खलबली
इधर
कुछ उधर
जाने किस अतरे-कोने में दुपक गईं मछलियाँ
आतंक हत्या क्रूरता के भयावह गुरिंदे में
आश्चर्य! संशय में जी रहा पृथ्वी पर मनुष्य